सौंफ की खेती: अकसर रेस्टोरेंट से जाते समय हम सौंफ और चीनी को माउथ फ्रेशनर के तौर पे खाते हैं पर क्या आपने कभी सोचा की आखिर सौंफ आती कहा से होगी और कैसे इसका प्रोडक्शन होता होगा। आईये जानते हैं इससे सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी इस लेख के माध्यम से।
इसकी उपयोगिता
अधिकाँश मिठाइयाँ इससे ही बनती हैं व् अन्य कई खाद्य पदार्थो में इसकी उपोगिता अहम् होती है। जैसे की ब्रेड, बिस्कुट, टाफियां आदि व् टूथपेस्ट में भी यह अहम् उपयोगी है। इसकी खेती का एक उद्देश्य मसाला बनाने के लिए भी किया जाता है।
सौंफ खाने से होने वाले कुछ अदभुत फायदे
- कफ़ में प्रभारी: कफ होने पर आप अगर इसको तवे पर भुन कर हल्के गर्म पानी के साथ पीयें तो आप कफ से निजात पा सकते हैं।
- पाचन में सहायक: खाने के बाद आप अगर इसका सेवन करें तो आपका भोजन आसानी से पच जाता है।
- बांजपन को दूर करे: स्त्रियों के लिए भी बहुत कारागार साबित होता है। शोध कर्ताओं का कहना है की इसका सेवन प्रतिदिन करते रहने से स्त्रियों की बांजपन की समस्या को दूर किया जा सकता हैं।
- अनिंद्रा दूर करे: जिन लोगों को नींद न आने की समस्या होती है उनके लिए भी काफी प्रभारी साबित होती है। इससे अनिंद्र को दूर किया जा सकता है।
- दस्त आने पर असरदार: दस्त के दौरान अगर आप इसको पानी में उबालकर पीयें तो ये काफी कारगार साबित होता है इसमें।
सौंफ में मिलने वाले कुछ तत्व
नमी | 6.30% | कार्बोहाइड्रेट्स | 42.30 % |
कैल्शियम | 1.30% | पोटेशियम | 1.7 % |
प्रोटीन | 9.50% | खनिज लवण | 13 .40 % |
फासफोरस | 0 .48% | विटामिन b1 | 9.41 gm/100 gm |
वसा | 10 % | विटामिन A | 10.40 iu/100 gm |
लोहा | 0.01% | विटामिन b 2 | 0.36 % |
रेशा | 18.50% | कैलरी | 370 |
सोडियम | 0.09% | विटामिन c | 12.00 |
सौंफ की उन्नत किस्में
RF 35 | RF 101 | RF 125 | गुजरात सौंफ 1 | अजमेर सौंफ 2 | उदयपुरी सौंफ 31 | लखनवी सौंफ |
खेत की तैयारी कैसे करें
खेती करने से पहले उसकी जुताई का एक विशेष महत्व होता है इसलिए आईये जानते हैं की इस खेती को करने से पहले हमें खेत को किस तरह से तैयार करना चाहिए। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए। बाद में 3 से 4 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करके खेत को समतल बनाकर पाटा लगते हुए एक सा बना लिया जाता है। आख़िरी जुताई में 150 से 200 कुंटल सड़ी गोबर की खाद को मिलाकर खेत को पाटा लगाकर समतल कर लिया जाता हैI
बीज कहा से खरीदें
बीज खरीदने के लिए आप चाहें तो अपने नजदीकी बीज भण्डारण केंद्र से संपर्क करके बीज खरीद सकते हैं। या सरकारी बीज भण्डारण केंद्र से ले सकते हैं। बीज खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता का विशेष ध्यान देना होता है।
बीज बोने की सही विधि
- बुवाई करने के लिए सीधे तौर पे लगभग 9 से 12 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज लगता है।
- अक्टूबर माह बुवाई के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। लेकिन 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक बुवाई कर देना चाहिए।
- बुवाई लाइनो में करना चाहिए तथा छिटककर भी बुवाई की जाती है।
- रोपाई को आप लाइन में भी कर सकते हैं। लाइन की दूरी 60 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
सिंचाई की सही विधि
फसल की पहली सिंचाई बुवाई करने के 5 या 7 दिन में करनी चाहिए। फसल की पहली सिंचाई करने के 15–15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान अवश्य रखें। कि खेत में जल को निकलने में आसानी हो। खेत में पानी भर जाता है तो इससे फसल ख़राब हो जाती है और किसानो को नुक्सान हो जाता है।
रोगों से इसका बचाव
छाछिया रोग (पाउडरी मिल्ड्यू):
- यह रोग इरीसाईफी पोलीगोनी नामक कवक से होता है। इस रोग में पत्तियों, टहनियों पर सफेद चूर्ण दिखाई देता है जो बाद में पूर्ण पौधे पर फैल जाता है। अधिक प्रकोप से उत्पादन एवं गुणवता कमजोर हो जाते हैं।
- इस रोग से बचने के लिए गन्धक चूर्ण 20-25 किलोग्राम/हेक्टेयर का भुरकाव करें या घुलनशील गंधक 2 ग्राम प्रति लीटर पानी या केराथेन एल.सी.1 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। आवश्यकतानुसार 15 दिन बाद दोहरावें।
जड़ एवं तना गलन: रोग
- यह रोग ‘स्क्लेरेाटेनिया स्क्लेरोटियेारम व ‘फ्यूजेरियम सोलेनाई नामक कवक से होता है। इस रोग के प्रकोप से तना नीचे मुलायम हो जाता है व जड़ गल जाती है। जड़ों पर छोटे-बड़े काले रंग के स्कलेरोशिया दिखाई देते है।
- इसकी रोकथाम बुवाई पूर्व बीज को कार्बेण्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार कर बुवाई करनी चाहिये या केप्टान 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से भूमि उपचारित करना चाहिये। ट्राइकोडर्मा विरिडी मित्र फफूंद 5 किलो प्रति हैक्टेयर गोबर खाद में मिलाकर बुवाई पूर्व भूमि में देने से रोग में कमी होती है।
झुलसा (ब्लाईट):
- सौंफ में झुलसा रोग रेमुलेरिया व ऑल्टरनेरिया नामक कवक से होता है। रोग के सर्वप्रथम लक्षण पौधे भी पत्तियों पर भूरे रंग के घब्बों के रूप में दिखाई देते है। धीरे-धीरे ये काले रंग में बदल जाते है। पत्तियों से वृत, तने एवं बीज पर इसका प्रकोप बढ़ता है।
- संक्रमण के बाद यदि आद्र्रता लगातार बनी रहें तो रोग उग्र हो जाता है। रोग ग्रसित पौधों पर या तो बीज नहीं बनते या बहुत कम और छोटे आकार के बनते है। बीजों की विपणन गुणवता का हृास हो जाता है। नियंत्रण कार्य न कराया जाये तो फसल को बहुत नुकसान होता है।
- इससे बचाव स्वस्थ बीजों को बोने के काम में लिजिए। फसल में अधिक सिंचाई नही करें। इस रोग के लगने की प्रारम्भिक अवस्था में फसल पर मेंकोजेब 2 प्रतिशत के घोल का छिड़काव करें आवश्यकतानुसार 10 से 15 दिन बाद दोहरायें।
रेमुलेरिया झुलसा रोग रोधी आर एफ 15, आर एफ 18, आर एफ 21, आर एफ 31, जी एफ 2 सौंफ बोये।
सौंफ की फसल में रेमुलेरिया झुलसा, ऑल्टरनेरिया झुलसा तथा गमोसिस रोगों का प्रकोप भी बहुत होता है जिससे उत्पादन एवं गुणवता निम्न स्तर की हो जाती है। रोग रहित फसल से प्राप्त स्वस्थ बीज को ही बोयें। बीजोपचार तथा फसल चक्र अपनाकर तथा मेन्कोजेब 2 प्रतिशत घोल का छिड़काव कर कम किया जा सकता है।
फसल एकत्रण
- फसल लगभग 150 से 170 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसकी फसल की कटाई उस समय करें जब इसके बीज पूरी तरह से विकसित हो जाए। हलांकि इसके बीज का रंग हरा ही रहता है।
- इसलिए तुड़ाई करने से पहले एक डनटी को तोड़कर बीज को दोंनो ओर से देखें की क्या वो पक चुका है की नहीं अगर पक चुका है तभी बाकि फसल की कटाई करें। इसकी फसल की कटाई करते समय ध्यान देना चाहिए की इसमें समय का अंतराल न हो सके लगभग 7 दिन में पूरी फसल की कटाई कर लेनी चाहिए।
सुखाने की सही विधि
फसल की कटाई करने के बाद उसको सुखाना भी एक महतवपूर्ण होता है। फसल कटाई के बाद कम से कम एक सप्ताह तक इसको सुखाना चाहिए
सुखाते समय ध्यान देना चाहिए की जहा भी आप इसको सुखा रहे हैं वह पर धुप अधिक तेज़ नहीं होनी चाहिए। सुखाने के तुरंत बाद में आप इसको साफ़ करें बेहतर होगा की आप साफ़ करने के लिए प्राकर्तिक उपाय को ही चुने।
माल की बिक्री
माल बेचने के लिए आप अपने अनुसार मार्किट का चुनाव कर सकते हैं। सबसे पहले तो आप मार्किट का चुनाव करें जहा भी आप इसको बेचना चाहते हैं। आप इसे मंडी से लेकर ऑनलाइन सभी माध्यम से बेच सकते हैं आप रिटेल या होल सेल दोनों माध्यम से इसे बेच सकते हैं। ऑनलाइन बेचने के लिए आप फ्लिप्कार्ट अमेज़न बिग बास्केट जैसे कुछ कम्पनी को चुन सकते हैं। आप चाहें तो कुछ कम्पनी से भी सीधे तौर पर संपर्क कर सकतें हैं जो की इसकी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कराते हैं।
आशा करते है सौंफ की खेती से जुड़ी यह लेख आपको पसंद आयी होगी। अपने किसान भाईयों को जागरूक कर स्वरोज़गार मुहैया कराने हेतु शुरुवात की गयी इस मुहीम से जुड़े रहने के लिए हमें सब्सक्राइब करना न भूले| इसी तरह की जानकारी पाने के लिए एडुफ़ीवर ग्रामीण शिक्षा को अपना सहयोग दे| सौंफ के उत्पादन से जुड़ी किसी भी तरह के समस्याओं के समाधान हेतु नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करना न भूले।
नमस्ते ,
श्रीमान में सौंप की खेती करना चाहता हूँ यह मार्केट में क्या भाव से बिकती है और कहाँ पर बिकती है। बताने का कष्ट करें।
धन्यवाद!
नमस्ते ,
श्रीमान में सौंप की खेती करना चाहता हूँ यह मार्केट में क्या भाव से बिकती है और कहाँ पर बिकती है। बताने का कष्ट करें।
धन्यवाद!