बहेड़ा नाम सुनने में थोडा सा अजीब जरुर लगेगा| पर ये एक कमाल की औषधि है ,इसका फल तना व पतियाँ मुख्य तौर पर दवाइयां बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बहेड़ा से तैयार दवाइयों का प्रयोग चमड़ी के रोग, सोजिश वाले हिस्सों, बालों का सफेद होना, कोलेस्ट्रोल और खून के दौरे को कम करने के लिए किया जाता है। बहेड़ा को संस्कृत में करशफल, कलीदरूमा और विभीताकी के नाम से जाना
बहेड़ा को खाने से होने वाले अदभुद फायदे
बहेड़ा जितना लाभकारी है उतना घातक भी है क्यों की यदि अधिक मात्रा में इसका सेवन किया जाये तो ये बहुत हानिकारक भी साबित हो सकता है |इसका सेवन सिर्फ 5 ग्राम तक ही किया जाना चाहिए , इसके पश्चात ये नुकसानदायक भी साबित हो सकता है ,आइये जानते हैं इससे होने वाले कुछ फायदे –
कब्ज दूर करे | इसके सेवन कब्ज की समस्या से निजात पाया जा सकता है |तथा ये अमाशय को भी मज़बूत बनता है| |
बवासीर पर कारगर | इसके सेवन से बवासीर जैसे रोगों से भी निजात मिलता है | |
कामशक्ति बढाने में मददगार | शोधकर्ताओं के अनुसार यदि इसके छिलके का सेवन प्रतिदिन किया जाए तो इससे कामशक्ति के लिए उर्जा बढती है | |
सांस व दमा पर असरदार | इसके पत्ते का उपयोग करके चिलम से पीने पर ये लाभदायक साबित होता है| |
चमड़ी रोग में सहायक | इसके पेड़ की छाल से कई प्रकार की चमड़ी रोग को दूर करने वाली दवाई बनाई जाती है | |
खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु
इसकी खेती एक पौधे के रूप में की जाती है इसके सख्त होने के कारण इसको आप किसी भी प्रकार की मिटटी में उगा सकते हैं |
- यह समुद्रतल से लगभग 1100 मी. की ऊचाँई में भारत के अनेक भागों में पाया जाता हैं
- जहाँ वर्षा 900 मिमी से 3000 मिमी तक होती है उन क्षेत्रों में इसकी पैदावार होती है।
- यह वृक्ष ठंड़ के लिए अतिसंवेदनशील है और सूखे के लिए प्रतिरोधी है |
कैसे तैयार करें अपना खेत
- फसल की खेती के लिए अच्छी तरह जमीन को तैयार करें |
- मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए ज़मीन की जोताई करें।
- जोताई के बाद मॉनसून आने से पहले गड्ढे खोदें।
- निचले इलाकों में पौधे के अच्छे विकास के लिए बड़े आकार के गड्ढे खोदें।
बीज का उपयोग
- बीज की खरीदी किसी भी सरकारी या राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त भण्डारण केंद्र से ही करें ,
- बीज को खरीदने के पश्चात उसे 24 घंटों के लिए अंकुरित करें|
- बीज को लगभग 2 इंच तक गद्दा खोदकर उसके अंदर रोपाई की जानी चाहिए|
- इसके बीज की बुवाई बरसात से पहले की जानी चाहिए , तथा बीज से पौध का निर्माण 10 से 40 दिन के अन्तराल में होता है|
- इसके पश्चात पौध की रोपाई 3*3 मी की दूरी के अंतराल में की जानी चाहिए|याद रखें की रोपाई से पूर्व पनीरी का इस्तेमाल करना बेहद जरुरी है , इससे बाद में पौधे को निकालन बहुत आसान हो जाता है |
सिंचाई किस प्रकार की जानी चाहिए
सिंचाई के समय ध्यान देना चाहिए की किस प्रकार का मौसम चल रहा है| अगर गर्मियों का समय है तो आपको दिन में 3 बार तक सिंचाई करनी पड़ सकती सकती है |और बरसात के समय में आपको इसकी सिंचाई की कोई जरुरत ही नहीं होती
रोगों से इसका बचाव
- रोगों से बचाव के लिए सबसे उपयोगी है की आप इसमें समय पर निराई गुड़ाई करें|
- पौधे रोपण के ठीक 1 महीने के पश्चात आप इसके खरपतवार को नियंत्रण करने के लिए इसकी निराई गुड़ाई करें|
- इसमें सैमी लुपर सुंडी नामक कीट लग जाते हैं जो इसके पत्तों को नष्ट कर देते हैं ,और इसकी पैदावार को भी रोक देते हैं | अथवा इससे बचाव के लिए कीटनाशक का प्रयोग करें |
फसल की कटाई
इसके पौधे की लम्बाई 30 मीटर तक होने के पश्चात इसके फल पक जाते हैं| नवम्बर महीने से फरवरी के मध्य तक इसके फल तैयार हो जाते है जिसके बाद फलों को तोड़ लिया जाता है |जिसके पश्चात फलों को धुप में सुखाना पड़ेगा इसके फलों को हल्का साफ़ करके एक जगह एकत्रित कर लें| तथा अपने अनुसार इसकी पैकिंग कर लें| पौकिंग के दौरान याद रहे की आप इसको इस प्रकार से पैक करें की इसमें हवा बिलकुल भी ना जा सके|
बहेड़ा की खेती कहाँ होती है
भारत के कई राज्यों में इसकी खेती की जाती है ,जिसमें महाराष्ट्र ,पंजाब , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य शामिल हैं |इसके आलावा भी ऐसे कई राज्य हैं जहाँ पर इसकी खेती करना संभव है इसलिए की भी जा रही है |
अपना माल कहाँ बेचें
ये त्रिफला भी है जिसकी मांग औषधि के रूप में की जाती है | इसके लिए कई आयुर्वेदिक् कम्पनी एडवांस बुकिंग भी देती हैं . कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तौर पे भी आप इसकी खेती कर सकते हैं |
आप चाहे तो बहेड़ा को सीधा अपने बाजार में लोकल कस्टमर के बीच उतार सकते है। आप इसे रिटेल भी कर सकते हैं एवं बेहतर डील मिलने पर होलसेल की दर पे भी बेच सकते हैं। इसके कई व्यापारी आपको एडवांस तक देते हैं। ये एक नकद बिकने वाली फसल है तथा देश से लेकर विदेश तक इसकी मांग लगातार भी बढ़ रही है। ऑनलाइन के इस जग में आप चाहे तो अपने बहेड़ा की पैकेजिंग कर फ्लिपकार्ट, अमेज़न इत्यादि साइट पर भी बेच सकते है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
उत्तर – त्रिफला विशेषकर तीन फलों से मिलकर बनता है |इसमें बहेड़ा भी एक विशेष है , इसके चमत्कारी गुणों के कारण इसको त्रिफला में समिलित किया गया है |
उत्तर – ये एक ऐसा लाभकारी औषधि है जिसके लिए कई औषधि कम्पनी अभूत बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं ,इसका उपयोग कई फार्मा कम्पनी भी करती है इसीलिए इसकी मांग बहुत अधिक बढ़ चुकी है ,जिसके लिए इसकी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी की जा रही है जिसमें कई कम्पनी खुद से ही निवेश कर रही है |
उत्तर – इसकी खेती करने के लिए वैसे तो आपको बुहत सारे लेख मिल सकते है , पर प्रैक्टिकल तौर पर प्रशिक्षण के लिए आप इसके ट्रेंनिग प्रोग्राम को ज्वाइन कर सकते हैं | जिसके लिए आपको शुल्क भी देना होगा पर उसके पश्चात आप जीवनभर इसकी खेती करके लाभ कमा सकते हैं |
उत्तर – ये इस बात पर निर्भर करेगा की आप किस राज्य में हैं वहां की मिटटी का क्या स्वभाव है , उसके पश्चात ही कोई निर्णय लिया जा सकता है | बहुत से प्रदेश ऐसे भी हैं ,जहाँ पर इसकी कोई आवश्यकता नहीं पड़ती |
उत्तर – स्वास्थ्य के लिहाज से जितना लाभकारी है ,इसलिए इसकी मांग भी बहुत अधिक की जाती है , और मांग अधिक होने के कारण ही इसमें होने वाला लाभ भी बहुत अधिक हो रहा है | इसकी खेती करके आप एक उम्दा लाभ ले सकते है |
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सफलता का मंत्र:
??कभी खुद को निराश न करें?
??कड़ी मेहनत करते रहो✍️
??अपने आप पर विश्वास करो? ?
चिंता न करें, यदि आप भी खेती सम्बंधित किसी तरह के परेशानियों से जूझ रहे हैं तो हमसे संपर्क करना न भूले| याद रहे केवल उचित मार्गदर्शन से ही असंभव को संभव किया जा सकता हैं|आप अपनी उलझने हमें कमेंट भी कर सकते हैं|
शुभकामनाएँ…!!!
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कभी खुद को निराश न करें?
कड़ी मेहनत करते रहो✍️
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